अशोक सम्राट रुपनाथ स्तिथ शिलान्यास पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनके पद चिन्हों पर चलने हेतु गोष्ठी सभा का आयोजन
(स्लीमनाबाद)
- बहोरीबंद जनपद के नजदीक ही रुपनाथ स्थल में जबलपुर से रुपनाथ तक प्रति वर्ष के अनुसार इस वर्ष भी महान अशोक सम्राट धम्म विजय यात्रा निकाली गई जहाँ पर महान अशोक सम्राट के वंशजों द्वारा स्तिथ शिलालेखो पर एक एक कर सभी ने पुष्पांजलि अर्पित करी एवं तथागत भगवान बौद्ध की वाणियों का वाचन किया गया।उसके पश्चात स्तिथ नजदीक ही एक धर्मशाला में महान अशोक सम्राट के पद चिन्हों पर गोष्ठि सभा का आयोजन रखा गया जिसमे बारी-बारी से वक्ताओं ने अपना उद्बोधन देकर सम्राट अशोक के शिलालेखो व उनके पदचिन्हों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि विश्वप्रसिद्ध एवं शक्तिशाली भारतीय मौर्य राजवंश के महान सम्राट थे। प्राचीन समय के सबसे प्राचीन वंश मौर्य वंश के तीसरे राज्य अशोक मौर्य विश्वप्रसिद और सबसे शक्तिशाली राजाओं में से एक थे। सम्राट मौर्य ने 269 से 232 ई.पू तक शासन किया था। मौर्य वंश का यह राजा ही एक ऐसा राजा था जिसने अखंड भारत पर राज किया था. भारत में मौर्य वंश की नींव रखने वाले इस राजा ने भारत के उत्तर में हिन्दुकुश से लेकर गोदावरी नदी तक राज्य का विस्तार किया था इसके साथ ही उनका राज्य बांग्लादेश से लेकर पश्चिम में अफगानिस्तान और ईरान तक राज्य विस्तार था. सम्राट अशोक एक महान राजा होने के साथ धार्मिक सहिष्णु भी थे।वे बौद्ध धर्म के अनुयायी थे।इस तरह सभी वक्ताओं ने बारी-बाई से अपने विचार व्यक्त किये। इस दौरान-तुलसीराम कुशवाहा पार्षद पनागर,वैजनाथ कुशवाहा,जगदीश दीवान,चम्मूलाल कुशवाहा,अमृत लाल चौधरी,संतोष राय,भारत काछी,केके हल्दकार,गोविन्द पटेल सरपंच पथराड़ी पिपरिया, नरेंद्र सैनी,गुमान सिंह,अरविंद धुर्वे,संतराम रैदास हथियागढ़,शंकर महतों,महेंद्र सैनी,रमेश पटेल,सुदर्शन कोल,पुरुषोत्तम महतो,किस्सु हल्दकार शिक्षक,राजेश काछी,बाबा सिहोरा,बसपा नेत्री बबिता गोंटिया सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
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